तेरी ये निगाहें जो शीशे के पीछे छुपी हैं, जरा इन पर से ये परदा तो हटा,
एक मीठी सी तड़प है दिल में, कि आज तो कुछ गुनाह कर लें,
तेरी आंखों में झांकते इस दिल से, न जाने कितनी बार तकरार हुई है,
आज हम इस दिल से, थोड़ी सुलह कर लें,
माना कि तू बहुत दूर है, आखों से ओझल होने को है,
पर दिल कहता है तेरे इश्क में खुद को फना कर लें,
एक मीठी सी तड़प है दिल में, आज तो कुछ गुनाह कर लें…